स्मार्ट मीटर का मूल्य उपभोक्ता से वसूलना पूर्णतया अवैधानिक।
सूचना कार्यकर्ता प्रशिक्षण व विधिक सेवा शिविर आयोजित।
स्मार्ट मीटर का मूल्य उपभोक्ता से वसूलना पूर्णतया अवैधानिक।
पोस्टपेड उपभोक्ता को प्रीपेड उपभोक्ता में परिवर्तित करने का कारपोरेशन को नहीं है अधिकार।
विद्युत अधिनियम २००३ के प्रावधानों व नियामक आयोग के निर्देशों का खुला उल्लंघन है मूल्य लेकर स्मार्ट मीटर की स्थापना।
जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान मे २२६ वें सूचना कार्यकर्ता प्रशिक्षण/विधिक सेवा शिविर का आयोजन संगठन के शिवपुरम बदायूं स्थित मुख्यालय पर आयोजित किया गया। सूचना कार्यकर्ताओं की कठिनाइयों का निवारण किया गया तथा लोकहित में सूचना अधिकार के प्रयोग के तरीके भी बताए गए, वर्ष 2026 में सम्भावित पंचायत चुनाव के दृष्टिगत सूचना कार्यकर्ताओं की सक्रियता पर भी बल देने के साथ ही पंचायत राज व्यवस्था से परिचित कराया गया तथा विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई। २६ नवम्बर को संविधान दिवस के दृष्टिगत "भारतीय संविधान का वर्तमान स्वरूप और विकसित भारत की कल्पना" तथा " छोटे राज्य और विकसित भारत " जैसे विषयों पर संविधान दिवस से उपभोक्ता दिवस तक गोष्ठियां आयोजित करने की योजना बनाई गई।
इस अवसर पर जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने कहा कि नवीन विद्युत संयोजन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करके उसका मूल्य उपभोक्ताओं से किस्तों में वसूलने का निर्णय विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों के विरुद्ध है। आयोग द्वारा स्मार्ट मीटर के मूल्य का निर्धारण ही नहीं किया गया है। नवीन विद्युत संयोजन पर जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर इंडियन स्टैंडर्ड 16444 लगाए जा रहे हैं वह निशुल्क मीटर बदलने के लिए क्रय किए गए हैं। पावर कारपोरेशन को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) को आदर प्रदान करते हुए समस्त विद्युत उपभोक्ताओं को पोस्टपेड व प्रीपेड मीटर के चयन का विकल्प प्रदान करना चाहिए था। वर्ष 2019 में आईएस 15884 (नॉन-प्रीपेड स्मार्ट मीटर) की दर का निर्धारण किया गया था। वर्तमान में आईएस 16444 (प्रीपेड स्मार्ट मीटर) के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। फिर भी विद्युत कंपनियां नए विद्युत संयोजन पर इन मीटरों को उपभोक्ताओं पर दबाव बनाकर लगाकर के अनाधिकृत रूप से धन राशि वसूल रही हैं।
श्री राठौड़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों द्वारा नए बिजली कनेक्शन पर बिना किसी वैधानिक स्वीकृति के इंडियन स्टैंडर्ड (आईएस) 16444 के स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाए जा रहे हैं, और इसके एवज में रु. 6016 की अवैध वसूली की जा रही है, जो कि विद्युत नियामक आयोग के आदेशों का खुला उल्लंघन है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इंडियन स्टैंडर्ड 1644 की दर आयोग ने निर्धारित नहीं की है जिस मीटर की दर ही निर्धारित नहीं हुई है उस पर किस्तों में भुगतान की सुविधा की बात कहां से आ गई। पावर कॉरपोरेशन पर आयोग द्वारा पूर्व से ही अवमानना की कार्यवाही प्रचलित है। वर्तमान में केंद्र सरकार की योजना के तहत पावर कॉरपोरेशन द्वारा जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर क्रय गए हैं, उनके मूल्य का भुगतान केंद्र सरकार कर रही है, और उन्हें उन उपभोक्ताओं को निःशुल्क उपलब्ध कराना अनिवार्य है जिनके घरों में पहले से पोस्टपेड मीटर स्थापित है ।
केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल ने कहा कि महाराष्ट्र में एक स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत केवल ₹2610 है, वहां पर कनेक्शन लिए जाने के लिए इस दर को घोषित करते हुए उसमें इंडियन स्टैंडर्ड 16444 निर्धारित किया गया है जबकि उत्तर प्रदेश में आर डी एस एस योजना के तहत निजी कंपनियों द्वारा लिए गए टेंडर के अनुसार कंपनियों को जो इंटरनल आर्डर दिए गए हैं वह आर्डर पावर कॉरपोरेशन मंगा कर देख ले उसमें सिंगल फेज मीटर की वास्तविक लागत ₹2200 से ₹2300 के बीच है उपभोक्ताओं से ₹6016 वसूलना पूरी तरह अनुचित है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार, उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड का विकल्प देना अनिवार्य है। मौजूदा पोस्टपेड उपभोक्ताओं के मीटरों को बिना उनकी सहमति के गुपचुप तरीके से प्रीपेड में बदलना गैरकानूनी है।
प्रशिक्षण शिविर में प्रमुख रूप से मार्गदर्शक धनपाल सिंह, संरक्षक एम एल गुप्ता , सुरेश पाल सिंह चौहान, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी/ महासचिव रामगोपाल, मंडल समन्वयक एम एच कादरी, जिला समन्वयक आर्येंद्र पाल सिंह, सह जिला समन्वयक विपिन कुमार सिंह एडवोकेट, एच एन सिंह,, सह तहसील समन्वयक मो इब्राहीम, कृष्ण गोपाल, नेत्रपाल, महेश पाल सिंह, प्यारेलाल, दुष्यन्त कुमार आदि की सहभागिता रही।


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