उच्च न्यायालय ने शिकायत निवारण की अवधि और निगरानी तंत्र को लेकर मांगा शपथ पत्र।
प्रधानों के विरुद्ध शिकायतों को ठंडे बस्ते में डालना प्रशासन को पड़ेगा भारी।
उच्च न्यायालय ने शिकायत निवारण की अवधि और निगरानी तंत्र को लेकर मांगा शपथ पत्र।
सामाजिक कार्यकर्ता राजपाल सिंह ने ग्राम पंचायत रिजोला, विकास खंड उसावां में विकास कार्यों में घोटाले और अनियमितताओं के विरुद्ध विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष शिकायत पत्र प्रस्तुत किए, शपथ पत्र से समर्थित शिकायत भी जिला मजिस्ट्रेट को दी किंतु प्रधानों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों को ठंडे बस्ते में डालने, भ्रष्टाचार को संरक्षित करने की प्रवृत्ति के कारण कोई कार्यवाही नहीं हुई। विवश होकर राजपाल सिंह ने उच्च न्यायालय की शरण ली।
उच्च न्यायालय द्वारा 03 नवम्बर को याचिका संख्या 37606/2025 में आदेश पारित करते हुए अगली निर्धारित तिथि तक स्थायी अधिवक्ता को प्रतिवादी संख्या 1 की ओर से एक शपथ पत्र प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है जिसमें प्रधान/ग्राम विकास अधिकारी के विरुद्ध सार्वजनिक धन के उपयोग में गबन और अनियमितताओं के साथ-साथ गाँव के विकास के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित शिकायतों के उचित समय के भीतर निवारण हेतु तंत्र का खुलासा किया जाए। उन्हें यह भी बताना होगा कि सार्वजनिक धन के उपयोग की जाँच के लिए निगरानी उपाय क्या हैं।
इसके अलावा, क्या राज्य द्वारा दी गई अनुदान राशि और उसके वास्तविक कार्यान्वयन की जानकारी देने के लिए ग्राम स्तर, ब्लॉक स्तर या जिला स्तर पर किसी सूचना पट्ट या मंच का उपयोग किया जा रहा है? क्या कोई अधिकारी गाँव का स्थलीय निरीक्षण/भ्रमण करने के बाद ग्रामीणों के स्वास्थ्य, स्वच्छता, गाँव की सड़कें और जलापूर्ति आदि जैसी बुनियादी ज़रूरतों की आवश्यकता और पूर्ति के बारे में रिपोर्ट तैयार करता है?
इस मामले में अग्रिम सुनवाई दिनांक 05.12.2025 को दोपहर 02:00 बजे की जाएगी।


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