लोकतंत्र में नागरिक को मालिक होने का अहसास कराता है सूचना का अधिकार।
लोकतंत्र में नागरिक को मालिक होने का अहसास कराता है सूचना का अधिकार।
जन समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर नहीं है लोकशाही।
जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान मे राष्ट्रीय सूचना अधिकार दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय पर कार्यकर्ताओ, सहयोगियों व पदाधिकारियों ने राष्ट्र राग ""रघुपति राघव राजाराम ......"" का कीर्तन कर सूचना अधिकार को सुदृढ बनाए जानें तथा दुर्बल बनाने के प्रयास में संलग्न लोक सूचना अधिकारियो, प्रथम अपीलीय अधिकारियो एवम सूचना आयुक्तों की सद्बुधि हेतु ईश्वर से प्रार्थना की। तदंतर संगठन के शिव पुरम बदायूं स्थित मुख्यालय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया संगोष्ठी में ""सूचना का अधिकार और गुड गवर्नेंस एवं जन समस्याएं और जन शिकायत निवारण तन्त्र "" विषयों पर विमर्श किया गया। सूचना अधिकार जन जागरण पखवाड़ा की समीक्षा की गई। सूचना कार्यकर्ता सम्मेलन २०२५ की योजना बनाई गई।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने कहा कि बर्ष २००५ मे सूचना का अधिकार प्राप्त होने पर देश के नागरिकों को प्रथम बार अहसास हुआ कि वे देश के मालिक हैं। सूचना के अधिकार ने नागरिकों की उन सूचनाओं तक पहुंच बनाई जो कि सांसदों और विधायकों की पहुंच में थी। सूचना का अधिकार प्राप्त हुए आज दो दशक हो गए हैं। इस अधिकार के प्रयोग से देश में अनेक बदलाव भी देखने को मिले हैं। अनेक नागरिकों का बलिदान भी हुआ है। नौकरशाही इस कानून को दुर्बल बनाने में संलग्न हैं। सूचना अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन के अभाव में गुड गवर्नेंस की कल्पना व्यर्थ है।
श्री राठौड़ ने कहा कि जन समस्याओं के समाधान के लिए शासन अत्यंत गंभीर है। माह के चारों शनिवार को समाधान दिवस आयोजित किए जाते हैं, तृतीय बुधवार को किसान दिवस आयोजित किया जाता है, दस बजे से बारह बजे तक अधिकारी जन शिकायत सुनते हैं, ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल है, हेल्पलाइन हैं, मुख्यमंत्री व अन्य जन प्रतिनिधि भी जनता दरबार लगाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य माध्यम भी हैं परन्तु तंत्र जन शिकायतों का निस्तारण करता है, समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर नहीं है। तृतीय श्रेणी, चतुर्थ श्रेणी कार्मिक व बाह्य तत्व शिकायत निवारण तन्त्र को संभाल रहे हैं। भ्रामक आख्या दी जाती है, आरोपी को ही शिकायत सौंप दी जाती है। शिकायती पत्र पढ़ें भी नहीं जाते हैं, परिणामस्वरूप नागरिकों का व्यवस्था से मोहभंग हो रहा है और भ्रष्टाचार में भी गुणोत्तर वृद्धि हो रही है।
श्री राठोड़ ने कहा कि सभी सूचना कार्यकर्ता निर्भीकता के साथ लोकहित में सूचना के अधिकार का प्रयोग करें। इस अति महत्त्वपूर्ण अधिकार का प्रयोग किसी का उत्पीड़न करने अथवा हानि पहुंचाने के लिए नही करना है। कठिनाइयों के निवारण हेतु हम सबने अंतरराष्ट्रीय सूचना अधिकार दिवस के अवसर पर भी मांग उठाई थी। अंतरराष्ट्रीय सूचना अधिकार दिवस से राष्ट्रीय सूचना अधिकार दिवस तक नागरिकों में चेतना उत्पन्न करने हेतु सूचना अधिकार जन जागरण पखवाड़ा का आयोजन किया गया। इस अवधि में व्यापक लोकहित के अनेक विषय संगठन द्वारा उठाए गए।
केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल ने कहा कि देश में सबसे मजबूत सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 है जो कि केवल जनता के लिए ही बनाया गया है। जिसकी ताकत से आप सरकार से सीधा सवाल पूछ सकते है। जो जवाब संसद और विधानसभा को देने के लिए बाध्य है जो आम नागरिक को भी देने के लिए जन सूचना अधिकारी बाध्य है बस लड़ना पड़ता है प्रथम अपील, सूचना आयोग में दितिय अपील ,शिकायत और जरुरत पड़ने पर उच्च न्यायालय तक जाना पड़ता है उसके लिए धेर्य रखना पड़ता है भ्रष्ट्राचारी का निश्चित ही पतन होता है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से मार्गदर्शक धनपाल सिंह, संरक्षक एम एल गुप्ता, सुरेशपाल सिंह चौहान, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, मंडल समन्वयक एम एच कादरी, जिला समन्वयक आर्येन्द्र पाल सिंह, सह जिला समन्वयक विपिन कुमार सिंह एडवोकेट, तहसील समन्वयक कृष्ण गोपाल, सह तहसील समन्वयक नेत्रपाल, आदि की सहभागिता रही।
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